सोमवार, 28 मार्च 2011

भारत में भ्रष्टाचार की समस्या एवं निदान

भारत में वैसे तो अनेक समस्याएं विद्यमान हैं जिसके कारण देश की प्रगति धीमी है। उनमें प्रमुख है बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, आदि लेकिन उन सबमें वर्तमान में सबसे ज्यादा यदि कोई देश के विकास को बाधित कर रहा है तो वह है भ्रष्टाचार की समस्या। आज इससे सारा देश संत्रस्त है। लोकतंत्र की जड़ो को खोखला करने का कार्य काफी समय से इसके द्वारा हो रहा है। और इस समस्या की हद यह है कि इसके लिए भारत के एक पूर्व प्रधानमंत्री तक को कहना पड़ गया था कि रूपये में मात्र बीस पैसे ही दिल्ली से आम जनता तक पंहुच पाता है।

वास्तव में यह स्थिति सिर्फ एक दिन में ही नहीं बनी है। भारत को जैसे ही अंग्रेजी दासता से मुक्ति मिलने वाली थी उसे खुली हवां में सांस लेने का मौका मिलने वाला था उसी समय सत्तालोलुप नेताओं ने देश का विभाजन कर दिया और उसी समय स्पष्ट हो गया था कि कुछ विशिष्ट वर्ग अपनी राजनैतिक भूख को शांत करने के लिए देश हित को ताक मे रखने के लिए तैयार हो गये हैं। खैर बीती ताहि बिसार दे। उस समय की बात को छोड वर्तमान स्थिति में दृष्टि डालें तो काफी भयावह मंजर सामने आता है। भ्रष्टाचार ने पूरे राष्ट्र को अपने आगोश में ले लिया है। वास्तव में भ्रष्टाचार के लिए आज सारा तंत्र जिम्मेदार है। एक आम आदमी भी किसी शासकीय कार्यालय में अपना कार्य शीध्र करवाने के लिए सामने वाले को बंद लिफाफा सहज में थमाने को तैयार है। 100 में से 80 आदमी आज इसी तरह कार्य करवाने के फिराक में है। और जब एक बार किसी को अवैध ढंग से ऐसी रकम मिलने लग जाये तो निश्चित ही उसकी तृष्णा और बढेगी और उसी का परिणाम आज सारा भारत देख रहा है।

भ्रष्टाचार में सिर्फ शासकीय कार्यालयों में लेने देनेवाले घूस को ही शामिल नहीं किया जा सकता बल्कि इसके अंदर वह सारा आचरण शामिल होता है जो एक सभ्य समाज के सिर को नीचा करने में मजबूर कर देता है। भ्रष्टाचार के इस तंत्र में आज सर्वाधिक प्रभाव राजनेताओं का ही दिखाई देता है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण तो तब देखने को मिला जब नागरिकों द्वारा चुने हुए सांसदों के द्वारा संसद भवन में प्रश्न तक पूछने के लिए पैसे लेने का प्रमाण कुछ टीवी चैनलों द्वारा प्रदर्शित किया गया।

कभी कफन घोटाला, कभी चारा – भूसा घोटाला, कभी दवा घोटाला, कभी ताबूत घोटाला तो कभी खाद घोटाला आखिर ये सब क्या इंगित करता है। ये सारे भ्रष्टाचार के एक उदाहरण मात्र हैं।

बात करें भारत को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए तो जिन लोगों को आगे आकर भ्रष्टाचार को समाप्त करने का प्रयास कर समाज को दिशा निर्देश देना चाहिए वे स्वयं ही भ्रष्ट आचरण में आकंठ डूबे दिखाई देते है।

वास्तव में देश से यदि भ्रष्टाचार मिटाना है तो ने सिर्फ साफ स्वच्छ छवि के नेताओं का चयन करना होगा बल्कि लोकतंत्र के नागरिको को भी सामने आना होगा। उन्हें प्राणपण से यह प्रयत्न करना होगा कि उन्हें भ्रष्ट लोगों को समाज से न सिर्फ बहिष्कृत करना होगा बल्कि उच्चस्तर पर भी भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों का बायकॉट करना होगा। अपनी आम जरूरतों को पूरा करने एवं शीर्ध्रता से निपटाने के लिए बंद लिफाफे की प्रवृत्ति से बचना होगा। कुल मिला जब तब लोकतंत्र में आम नागरिक एवं उनके नेतृत्व दोनों ही मिलकर यह नहीं चाहेंगे तब तक भ्रष्टाचार के जिन्न से बच पाना असंभव ही है।

- आभार-- सूरज तिवारी ‘मलय’ प्रवक्ता .कॉम

5 टिप्‍पणियां:

  1. हम स्वयं भ्रष्टाचार-लिप्त हैं, जब हम स्वयं स्वच्छ होंगे तभी तो स्वच्छ लोगों को चुनेंगे ....

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  2. आप के ब्लॉग पर आज ही आया ..आप ने जल्द ही लिखना शुरू किया ब्लॉगजगत में स्वागत है आप का..
    एक ऐसा विषय है जिस पर हम सिर्फ बोलते है..श्याम गुप्ता जी से सहमत हूँ मैं कही न कहीं हम भी लिप्त है इसमें..इसलिए ये कैंसर बढ़ता जा रहा है...सामाजिक जागरण की जरुरत है..लिखते रहे...आप की अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा
    ..........................
    अगर आप पर्वांचल से हैं तो जुड़ सकते हैं...पूर्वांचल के ब्लॉग लेखको का पहला मंच

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  3. shayam gupt ji ne thheek kaha hai ham swayam doshi hain tab doosron ko dosh kaise de .bahut sarthak post .aabhar

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  4. पहले आत्म परिवर्तन करना होगा तभी राष्ट्र परिवर्तन संभव होगा ..........................धन्यवाद अच्छी पोस्ट

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